What is futures trading full advance explained - दोस्तों वैसे हम सबके अंदर एक दिलकी ख्वाहिश तो है कि हम पैसा कमाना चाहते हैं। अपने पैसों को कई गुना बढ़ते हुए देखना भी चाहते हैं और इसलिए जब किसी इंसान को यह पता चलता है कि स्टॉक मार्केट उसकी इच्छा को पूरी कर सकता है। तो वह स्टॉक मार्केट को ऐसी जादुई दुनिया समझकर उसमें एंटर होना चाहता है जो उसकी हर जरूरत और हर सपने को पूरा कर सके। लेकिन यह जादुई दुनिया किसी को मालामाल बना देती है तो किसी को कंगाल। अब ऐसा क्यों तो ऐसा इसलिए कि इस स्टॉक मार्केट की दुनिया में सफल होने की 100% गारंटी तो किसी की भी नहीं है और जो सक्सेस की पॉसिबिलिटीज होती हैं वो उनके लिए ही ज्यादा होती है जो इस मार्केट की समझ रखते हैं। तो स्टॉक मार्केट के जरिए अपने सपने तो आप जरूर पूरे कीजिए पर इसकी वजह से अपने सपनों को बिखरने मत दीजिए।
Futures Trading क्या है ?
फ्यूचर्स ट्रेडिंग एक तरह का कांट्रैक्ट है जिसमें आप फ्यूचर में किसी फिक्स्ड डेट को किसी अंडरलाइन एसेट को खरीदने या बेचने का समझता करते हैं। चाहे शेयर मार्केट का इंडेक्स हो या Gold, Oil या ऐसा ही कोई अंडरलाइन एसेट हो आप इनकी कीमत बढ़ेगी या घटेगी इसका अनुमान लगा सकते हैं और उसके अकॉर्डिंग डील करके पैसे कमा सकते हैं। वैसे सुनने में यह काफी आसान लग रहा होगा लेकिन यह कॉम्प्लेक्टेड है और highly रिस्क भी इसलिए इसे अच्छे से समझने के लिए आप इन 10 टिप्स को फॉलो करे।
Full Planning करके चलिए?
फ्यूचर्स ट्रेडिंग में सफल होने के लिए आपके पास एक Clear Plan होना बहुत जरूरी है जो आपको अपने ट्रेडिंग टारगेट्स को अचीव करने में मदद कर सके और आपको इमोशनल होकर रंग ट्रेडिंग डिसीजंस लेने से भी रोके इसके लिए आप अपने टारगेट्स को डिफाइन कीजिए। कि आप फ्यूचर्स ट्रेडिंग से क्या हासिल करना चाहते हैं आप कितना पैसा इन्वेस्ट करने के लिए तैयार हैं आप कितना रिस्क ले सकते हैं और आप कितना टाइम ट्रेडिंग के लिए दे सकते हैं। अपने प्लान में यह भी क्लियर मेंशन कीजिए कि आप कौनसी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी को यूज करेंगे आपका पोर्टफोलियो कितना Diversified होगा आप कितने टाइम में अपने हर्ट रेट को रिकॉर्ड करेंगे। और साथ ही आप कब खरीदेंगे और कब बेचेंगे इस तरह के सभी सवालों के क्लियर जवाब आपके प्लान में शामिल होने चाहिए ताकि इस मार्केट की चका चंद में आप कमजोर डिसीजंस लेकर के अपना नुकसान करने से बच सके और प्लान के अकॉर्डिंग चलते हुए मुनाफा कमा सके।
सभी Basics Point को समझना बहुत जरूरी है?
फ्यूचर्स ट्रेडिंग में इन्वेस्ट करने से पहले आपको इसके बेसिक्स को जानना होगा इसके लिए आपको पता होना चाहिए कि फ्यूचर्स क्या होते हैं यह कैसे काम करते हैं और यह कितने तरह के होते हैं और फ्यूचर्स ट्रेडिंग में आप भविष्य के बारे में अनुमान लगाते हैं। और उसके बेस पर पैसा लगाकर प्रॉफिट अर्न कर सकते हैं (Futures Trading kya hai) कमोडिटी और इंडेक्स फ्यूचर्स इसके दो मोस्ट पॉपुलर टाइप्स हैं इनके अलावा आपको फ्यूचर्स ट्रेडिंग के इन बेसिक्स को भी समझना चाहिए कि Spot Price, Futures Price, Margin, Lot Size, Leverage और Roll Over क्या होते हैं।
Spot Price : स्पॉट प्राइस Asset का मतलब Current Market Price होता है।
Futures Price : फ्यूचर्स प्राइस वो कीमत है जिस पर आप भविष्य में किसी भी फिक्स्ड डेट को उस अंडरलाइन एसेट को खरीदने या बेचने का समझौता या डील करते हैं वैसे यह स्पॉट प्राइस से अलग हो सकता है।
Margin : मार्जिन वो फिक्स्ड अमाउंट होता है जिसे ब्रोकर को देकर फ्यूचर्स ट्रेडिंग शुरू की जा सकती है।
Lot Size : लॉट साइज यह एक बार में खरीदे या बेचे जाने वाले एसेट की मात्रा होती है जो फ्यूचर्स कांट्रैक्ट के बेस पर अलग-अलग हो सकती है।
Leverage Term लेवरेज टर्म का मतलब होता है अपने खुद के पैसे से ज्यादा के एसेट्स को खरीदने के लिए उधार लेना इस टूल के जरिए ट्रेडर अपने इन्वेस्टमेंट को बढ़ाते हैं।
Roll Over Term : रोल ओवर ऐसा प्रोसेस है जिसमें एक Expire होने वाले futures contract को एक नए कांट्रैक्ट में बदल दिया जाता है। जिसकी एक्सपायरी डेट आगे की होती है और ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि फ्यूचर्स कांट्रैक्ट्स की एक फिक्स्ड एक्सपायरी डेट होती है और जब यह डेट आ जाती है तो कांट्रैक्ट बंद हो जाता है।
इस तरह आपको फ्यूचर्स ट्रेडिंग के बेसिक टर्म्स को पहले अच्छी तरीके से समझ लेना चाहिए और फिर आगे बढ़ना चाहिए।
Starting मे छोटी-छोटी ट्रेडिंग से शुरुआत करें?
फ्यूचर्स ट्रेडिंग के बेसिक सीखना तो जरूरी है साथ ही यह समझना भी जरूरी है कि इस तरह की हाईली रिस्की ट्रेडिंग में आपको एक साथ ज्यादा पैसा लगाने से बचना होगा और शुरुआत कम से ही करनी होगी शुरुआत में छोटे लॉट साइज के साथ आप शुरू करें और धीरे-धीरे इसे बढ़ाएं। फ्यूचर्स ट्रेडिंग में आपको जितना पैसा चाहिए वह इस बात पर डिपेंड करता है कि आप कितने कांट्रैक्ट खरीदना चाहते हैं और उस कांट्रैक्ट की कीमत क्या है इस दौरान मार्जिन का ध्यान रखना जरूरी होगा मार्जिन का मतलब है कि आपको पूरे पैसे की जरूरत नहीं होगी आप एक स्मॉल अमाउंट जमा करके एक बड़े कांट्रैक्ट को खरीद सकते हैं।
सही और बेहतर Trading Broker को चुनना बहुत जरूरी है?
फ्यूचर्स ट्रेडिंग के लिए सही ब्रोकर चुनना काफी जरूरी है सही ब्रोकर चुन कर के ही आप अपनी ट्रेडिंग एक्सपीरियंस को बेहतर बना सकते हैं इसलिए एक ब्रोकर चुनते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखें जैसे कि ब्रोकर का ट्रेडिंग प्लेटफार्म अच्छा होना चाहिए। ब्रोकर का रिस्पांस टाइम अच्छा होना चाहिए उसके प्लेटफार्म पर आपको Research और Analysis सर्विस मिलनी चाहिए और Customer Support भी ब्रोकरेज चार्ज भी आपके लिए सूटेबल होना चाहिए और ऐसा ब्रोकर ढूंढने के लिए आप Zerodha Upstox 5Paisa और AngelOne जैसे डिफरेंट ब्रोकर्स की सर्विसेस और चार्जेस को कंपेयर कर सकते हैं और अपने लिए सही ब्रोकर चुन सकते हैं।
शुरुआत मे Demo Account पर प्रैक्टिस करना चाहिए
डेमो अकाउंट एक वर्चुअल ट्रेडिंग अकाउंट होता है जहां पर आप असली पैसे लगाए बिना ट्रेडिंग की प्रैक्टिस कर सकते हैं। बिगिनर्स के लिए यह एक बहुत ही अच्छा तरीका है मार्केट के रिस्क को समझने और स्ट्रेटेजी को टेस्ट करने का इसके लिए आपको ऐसे ब्रोकर को चुनना होगा। जो आपको डेमो अकाउंट की फैसिलिटी दे उस ब्रोकर की वेबसाइट पर जाकर आप डेमो अकाउंट के लिए रजिस्टर करेंगे और फिर वर्चुअल मनी का यूज करके डिफरेंट फ्यूचर्स कांट्रैक्ट्स में ट्रेड कर पाएंगे। यहां पर होने वाली मिस्टेक से आप सीख पाएंगे और रिस्क को हैंडल करने का एक्सपीरियंस भी ले पाएंगे।
मार्केट ट्रेंड्स को समझना बहुत जरूरी है?
फ्यूचर मार्केट में तीन मेन ट्रेंड्स होते हैं जो बताते हैं कि यह मार्केट किस डायरेक्शन में जा रहा है यानी ऊपर जा रहा है या नीचे यह ट्रेंड्स हैं bullish bearish और Side Wedge ट्रेंड आपको इनकी समझ होनी चाहिए। जब शेयर्स और कमोडिटी जैसे एसेट्स की कीमतें लगातार ऊपर जा रही हो यानी बढ़ रही हो तो इसे बुलिश ट्रेंड कहा जाता है। इस टाइम इन्वेस्टर्स एसेट्स को खरीदना पसंद करते हैं और जब इन्वेस्टर्स को लगता है कि इन एसेट्स की कीमत घटेगी तो इसे बेरिश ट्रेंड कहा जाता है इस टाइम इन्वेस्टर्स अपने एसेट्स को बेचने में फायदा समझते हैं। ताकि उन्हें कम नुकसान हो और साइड वेज ट्रेंड में मार्केट प्राइसेस बहुत ऊपर या बहुत नीचे नहीं जाते तो ऐसे में यह पता नहीं चल पाता कि प्राइसेस ऊपर जाएंगे या नीचे इस टाइम मार्केट स्टेबल नजर आता है इस तरह डिफरेंट मार्केट ट्रेंड्स को अच्छे से डिटेल में समझिए और फिर बढ़ी ट्रेडिंग की तरफ।
अपने रिस्क को Management करना सीखिए?
फ्यूचर्स ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट बहुत इंपॉर्टेंट है क्योंकि आपको बड़े नुकसान से भी बचाएगा और आपके प्रॉफिट्स को सेफ भी रखेगा इसके लिए आप Stop Loss Order, Take Profit Order और Portfolio Diversification के बारे में अच्छे से जानिए। आपको बता दें कि स्टॉप लॉस ऑर्डर ऐसा ऑर्डर होता है जिसे आप अपनी ट्रेड खोलते समय ही सेट करते हैं और अगर मार्केट प्राइस आपके सेट लेवल से नीचे जाती है तो यह ऑर्डर ऑटोमेटिक आपकी ट्रेड को बंद कर देता है।
इसके सभी Fundamental Analysis भी जरूर करे?
फ्यूचर्स ट्रेडिंग में फंडामेंटल एनालिसिस यानी मूल्य विश्लेषण एक इंपॉर्टेंट टूल है जो यह समझने में मदद करता है कि किसी एसेट की प्राइस क्यों बढ़ रही है या घट रही है इस प्रोसेस में कंपनी की Financial Health, Industry Trends और economic conditions को इवेलुएट किया जाता है। इसके जरिए आप यह जान सकते हैं कि जिस कंपनी के शेयर आप खरीदने वाले हैं वह कंपनीज कितना पैसा कमा रही हैं उनके पास कितना पैसा है उन पर कितना कर्ज है वह किन सेक्टर्स में काम करती है तो इन जानकारियों के बेसिस पर उन कंपनीज के फ्यूचर का अंदाजा लगाया जाता है। कि इनके शेयर की कीमत बढ़ेगी या घटेगी इसकी हेल्प से आप उन कंपनीज के शेयर या एसेट खरीदने से बच सकते हैं जो मुश्किल में है और जो ट्रेडर्स इसका सही तरह यूज करना जानते हैं वह लॉन्ग टर्म में अच्छा रिटर्न पाते हैं।
Technical Analysis भी करना जरूरी है?
टेक्निकल एनालिसिस का यूज करके आप फ्यूचर्स ट्रेडिंग में मार्केट्स के ट्रेंड्स को एनालाइज कर सकते हैं इसकी मदद से आप ट्रेडिंग के अच्छे अवसर भी तलाश सकते हैं इसलिए इस एनालिसिस को भी सीखिए इसमें चार्ट पैटर्न और इंडिकेटर्स आते हैं चार्ट पैटर्न में Head and Shoulders Triangle और Flag and Pennant को समझा जा सकता है। हेड एंड शोल्डर्स पैटर्न जब बनता है तो यह अक्सर एक ट्रेंड के उलट होने का संकेत देता है वहीं ट्रायंगल पैटर्न अक्सर एक Breakout या breakdown का संकेत देता है यह मार्केट की अनिश्चितता बताता है।
क्योंकि ब्रेकआउट का मतलब मार्केट में तेजी आने की पॉसिबिलिटी होती है और ब्रेकडाउन का मतलब मार्केट में गिरावट आने की पॉसिबिलिटी होती है फ्लैग और पेनेंट छोटे पैटर्न होते हैं जो अक्सर एक ट्रेंड के जारी रहने का संकेत देते हैं। अगर आप चार्ट पर इन पैटर्स को पहचानने की प्रैक्टिस कर ले तो इन्हें देखकर आप पॉसिबल ट्रेडिंग अपॉर्चुनिटी को भी पहचान सकते हैं और रिस्क को भी मैनेज कर सकते हैं चार्ट की तरह आप इंडिकेटर्स को समझना भी शुरू करें।
जैसे कि मूविंग एवरेज इंडिकेटर के बारे में जो एक ऐसा इंडिकेटर है जो हमें यह बताता है कि कोई चीज जैसे कि एक शेयर का प्राइस पिछले कुछ दिनों या हफ्तों में औसतन कहां रहता है इसकी मदद से हमें मार्केट का डायरेक्शन पता चलता है। क्योंकि अगर मूविंग एवरेज ऊपर जा रहा है तो इसका मतलब है कि कीमतें बढ़ रही हैं और अगर यह नीचे जा रहा है तो इसका मतलब है कि कीमतें गिर रही हैं अगर आप ऐसे इंडिकेटर्स को समझ सकेंगे तो अच्छे डिसीजंस ले पाएंगे।
Futures Trading के बारे में हमेसा Update रहिए।
फ्यूचर्स ट्रेडिंग में सक्सेस चाहिए तो आपको अप टू डेट इंफॉर्मेशन लेनी ही होगी इसके लिए आप बिजनेस न्यूज़ चैनल जैसे सीएनबीसी और जी बिजनेस एक्सट्रा से लेटेस्ट जानकारियां ले सकते हैं फाइनेंशियल वेबसाइट्स और ब्लॉग्स पर पढ़ सकते हैं। फाइनेंस से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से जुड़े आपको बस अपडेट रहने का इरादा बनाए रखना है क्योंकि अगर आपने यह सोच लिया कि आपके पास एक्सपीरियंस है और अब आपको कुछ सीखने की जरूरत नहीं है तो आप अपने लिए ज्यादा रिस्क को अट्रैक्ट कर सकते हैं इसलिए सीखते रहिए और आगे बढ़ते रहिए।
Conclusion
दोस्तों इस बारे में आपकी क्या राय है आपका कोई एक्सपीरियंस है तो प्लीज आप हमें जरूर से शेयर करें साथ ही इस पोस्ट को शेयर जरूर करे क्योंकि सच में जरूरत है ऐसी जानकारियों की बाकी लोगों को आपका कोई सवाल है तो आप हमें कमेन्ट मे बताए धन्यवाद।